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भारतीय दर्शन में आत्मा एवं परमात्मा

वीरसागर जैन

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :248
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10394
आईएसबीएन :9788126317868

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आत्मा एवं परमात्मा के अस्तित्व, स्वरुप तथा कर्तृत्व-अकर्तृत्व जैसे जटिल विषय को लेकर भारतीय दर्शन व दार्शनिकों में काफी कुछ समानता के बावजूद मतभेद रहे हैं

आत्मा एवं परमात्मा के अस्तित्व, स्वरुप तथा कर्तृत्व-अकर्तृत्व जैसे जटिल विषय को लेकर भारतीय दर्शन व दार्शनिकों में काफी कुछ समानता के बावजूद मतभेद रहे हैं। जैनाचार्य आत्मा और परमात्मा में घनिष्ठ सम्बन्ध मानते हैं। उनके अनुसार, आत्मज्ञान की प्राप्ति ही परमात्मस्वरूप को पा जाना है। और फिर सर्वदुखों से मुक्ति और स्वाधीन सुख की प्राप्ति ही तो मोक्ष है, जिसका मूल कारण आत्मतत्त्व को जान लेना ही है।

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